अध्याय-1
अर्जुनविषादयोग
अर्जुन जो महाभारत युद्ध के महानायक हैं, युद्ध के मैदान में समस्याओं से भयभीत होकर जीवन और क्षत्रिय धर्म से निराश हो गए। उसी प्रकार हम सभी नं.वार अर्जुन की भाँति जीवन की समस्याओं में उलझे हुए हैं; क्योंकि यह कलियुगांत का जीवन भी एक युद्ध क्षेत्र है। इसलिए आज सामान्य मनुष्य अपने जीवन की समस्याओं से उलझकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है अर्थात् क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए- इस संबंध में ही बुद्धू बन जाता है और जीवन की समस्याओं से लड़ने की बजाए, उनसे भागने लगता है; लेकिन समस्याओं से भागना समस्या का समाधान नहीं है।