अध्याय-5
कर्मसंन्यासयोग
जिनका मन समानता में स्थिर है, उन्होंने यहाँ मृत्युलोक रूपी संसार को ही जीत लिया है। जो मृत्यु को जीत लेता है, वही औरों को भी अमरत्व(देवत्व) प्रदान कर सकता है; जो संसार का विनाश कर सकता है, उसी में संसार को उत्पन्न करने का सामर्थ्य भी होता है; इसलिए परमात्मा द्वारा ही सृष्टि का सृजन एवं प्रलय संभव है।

अध्याय-5
श्लोक उच्चारण

अध्याय-5
संक्षिप्त व्याख्या सहित

अध्याय-5
शब्दार्थ तथा संक्षिप्त व्याख्या सहित

ॐ शांति

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