अध्याय-6
आत्मसंयमयोग
अपने मन-बुद्धि द्वारा ज्योतिबिंदु आत्मा को ऊँची स्थिति के हीरो में ले जाए। आत्मा को भ्रष्ट इन्द्रियों की अधोगति में न जाने दे; क्योंकि ज्योतिबिंदु आत्मा ही अपना सदाकाल सहयोगी मित्र है। आत्मा ही अपना शत्रु है। हीरो पार्टधारी विश्वामित्र ही विश्वमित्र है।