अध्याय-7
ज्ञानविज्ञानयोग
परमपिता शिव को विशेष किसी एक साकार स्वरूप द्वारा जानना केवल ज्ञान नहीं; अपितु विशेष ज्ञान, विज्ञान कहा जाता है; क्योंकि इसमें विशेष रूप से युक्त होना पड़ता है। जहाँ पण्डितों के दृष्टिकोण से ज्ञान और योग भिन्न नहीं होते, वहीं विशेष ज्ञान के साथ विशेष योग जुड़ा होता है। कदाचित् इसलिए इस 7वें अध्याय का नाम ‘ज्ञानविज्ञानयोग’ रखा गया है।