अध्याय-8
अक्षरब्रह्मयोग
समस्त संसार के नष्ट होने पर भी वह अव्यय परमात्मा स्वरूप शिवशंकर का नाश नहीं होता और कल्प के आदि में सभी के उत्पन्न होने का मूल कारण होने से उनका जन्म भी कोई नहीं जानता। इसलिए गीता में स्पष्ट आया है कि ‘‘मुझे अजन्मा, अनादि एवं महेश समझने वाला समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।