अध्याय-12
भक्तियोग
देहधारियों के लिए निराकार स्थिति पाना दुःखदायी है और सगुण रूप में याद करने को ‘श्रेष्ठ योग’ माना गया है। सगुण रूप में याद करना सहज भी है जिस कारण निरंतर भी हो सकता है। जो एकमात्र मेरे परम ब्रह्मामुख के आश्रित हुए श्रद्धावान्, इस धारणामृत का कि ‘तुम्हहिं छाँड़ि गति दूसरि नाहीं’-ऐसे भलीभाँति उपासक हैं, वे भक्त पिता के लिए अपने औरस, आज्ञाकारी & ईमानदार पुत्रवत् मुझे अति प्यारे हैं।