अध्याय-13
क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग
इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रं इति अभिधीयते। एतत् यः वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः॥ 13/1
हे अर्जुन! यह तेरा मुकर्रर शरीर रूपी रथ ही महाभारत का धर्मयुद्ध ‘क्षेत्र’इस नाम से धर्म&कर्मभूमि कहा जाता है। इस कलि-अंत+कृतयुगादि के एक्स्ट्रार्डीनरी रथ को जो जानता है उसको वह द्वापर के ऋषि-मुनि विद्वान शरीर रूपी ‘क्षेत्र का ज्ञाता’ ऐसे कहते हैं।