अध्याय-16
दैवासुरसम्पद्विभागयोग
हे पार्थ! इस ब्रह्मा के दिन-रात वाली सुख-दुःख की दुनियाँ में प्राणियों की सृष्टि स्वर्ग और नरक 2 प्रकार की ही है- ज्ञानसूर्य शिव के दिन में देवताओं की और नारकीय रात में लेवताओं-जैसे दुखदाई राक्षसों की। दैवी सृष्टि विस्तार से चौमुखी संगठित ब्रह्मामुख द्वारा पहले ही बताई गई।

AIVV

अध्याय -16

श्लोक उच्चारण

अध्याय -16

संक्षिप्त व्याख्या सहित

अध्याय -16

शब्दार्थ तथा संक्षिप्त व्याख्या सहित

ॐ शांति

Copyright © 2025 by AIVV All rights reserved.